महाभारत — एक ऐसा ग्रंथ जिसे “मानव सभ्यता का सबसे महान ग्रंथ” कहा गया है। इसमें न केवल धर्म और अधर्म की कहानी है, बल्कि जीवन के हर पहलू का ज्ञान भी छिपा है।
लेकिन एक सवाल आज भी लोगों के मन में उठता है — “महाभारत किसने लिखी थी?”
क्या इसे किसी एक व्यक्ति ने लिखा था, या ये सदियों तक कई ऋषियों द्वारा रचा गया ग्रंथ है?
आज हम इसी रहस्य पर से पर्दा उठाएंगे और जानेंगे वो सच्चाई जो बहुत कम लोग जानते हैं।
पारंपरिक मान्यता: महाभारत के रचयिता कौन थे?
हिंदू परंपरा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास (जिन्हें कृष्ण द्वैपायन व्यास भी कहा जाता है) को महाभारत का लेखक माना जाता है।
व्यास जी केवल लेखक ही नहीं बल्कि महाभारत के एक पात्र भी हैं — जिन्होंने पांडवों और कौरवों की वंश परंपरा को जन्म दिया।
पौराणिक कथाओं के अनुसार —
- व्यास जी ने भगवान गणेश जी से अनुरोध किया कि वे इस महाग्रंथ को लिखें।
- गणेश जी ने शर्त रखी कि वे लिखना तभी शुरू करेंगे जब व्यास बिना रुके बोलते रहेंगे।
- व्यास जी ने जवाब में कहा कि “गणेश जी, आप तब तक न लिखें जब तक प्रत्येक श्लोक का अर्थ समझ न लें।”
इस तरह यह दिव्य लेखन आरंभ हुआ।
कहा जाता है कि इसी दौरान गणेश जी की कलम टूट गई, तो उन्होंने अपनी एक दाँत तोड़कर उससे लिखना जारी रखा — इसलिए ही उन्हें “एकदंत” कहा जाता है।
इस कथा से पता चलता है कि महाभारत का लेखन केवल मानव प्रयास नहीं था, बल्कि इसमें दिव्यता और ज्ञान का संगम था।
ऐतिहासिक दृष्टि से: क्या केवल व्यास जी ने ही लिखा था?
आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार, महाभारत का लेखन एक लम्बी प्रक्रिया थी।
यह ग्रंथ लगभग 400 ईसा पूर्व से 400 ईस्वी के बीच अलग-अलग समय पर लिखा गया।
कुछ मुख्य बिंदु:
- महाभारत के सबसे पुराने संस्करण में लगभग 24,000 श्लोक थे, जिसे “जय संहिता” कहा गया।
- बाद में इसमें कई अध्याय और उपाख्यान जोड़े गए और आज यह ग्रंथ एक लाख से अधिक श्लोकों का हो गया।
- इसका मतलब यह है कि महाभारत सदियों तक विकसित हुआ ग्रंथ है, जिसे कई विद्वानों और ऋषियों ने आगे बढ़ाया।
इसलिए जब हम पूछते हैं — “महाभारत किसने लिखी थी?”
तो इसका उत्तर केवल “वेदव्यास” ही नहीं, बल्कि कई पीढ़ियों की बौद्धिक और आध्यात्मिक साधना भी है।
गणेश और व्यास की दिव्य कथा
महाभारत की रचना के समय की यह कथा बहुत प्रसिद्ध है:
व्यास जी जब गंगा तट पर ध्यानमग्न थे, तब उन्हें ब्रह्मा जी ने आदेश दिया कि वे इस युग की घटनाओं को ग्रंथ के रूप में संकलित करें।
व्यास जी ने सोचा कि यह कार्य बहुत विशाल है, इसलिए उन्होंने भगवान गणेश जी से कहा कि वे इसे लिखें।
गणेश जी ने कहा —
“मैं केवल तभी लिखूँगा जब आप बिना रुके बोलते रहेंगे।”
व्यास जी ने कहा —
“आप तब तक न लिखें जब तक श्लोक का अर्थ पूर्ण रूप से समझ न लें।”
इस प्रकार दोनों में एक दिव्य समझौता हुआ।
जब गणेश जी की कलम टूटी, उन्होंने अपना एक दाँत तोड़कर लिखना जारी रखा — और इसी कारण वे ‘एकदंत’ कहलाए।
यह कहानी केवल एक कथा नहीं है — यह ज्ञान, एकाग्रता और दिव्य समर्पण का प्रतीक है।
महाभारत की गहराई: सिर्फ युद्ध नहीं, जीवन का दर्शन
महाभारत केवल युद्ध की कथा नहीं है। यह जीवन, कर्तव्य, धर्म, नीति और आत्मज्ञान की अमूल्य शिक्षा देता है।
भगवद गीता, जो महाभारत का ही हिस्सा है, मानवता का मार्गदर्शन करने वाला आध्यात्मिक ग्रंथ है।
महाभारत हमें सिखाता है:
- कि धर्म और अधर्म के बीच निर्णय हमेशा आसान नहीं होता।
- कि ज्ञान ही सबसे बड़ी शक्ति है।
- कि कर्म, नीयत और सत्य ही जीवन का असली धर्म है।
जब हम “महाभारत किसने लिखी थी” पूछते हैं, तो असल में हम यह भी पूछ रहे होते हैं —
“इस ग्रंथ में इतना ज्ञान कहाँ से आया?”
और इसका उत्तर है — व्यास जी की आत्मा में बसी दिव्यता और सदियों तक चली भारतीय चिंतन परंपरा।
क्यों महत्वपूर्ण है ये प्रश्न: “महाभारत किसने लिखी थी?”
यह प्रश्न केवल जिज्ञासा नहीं है, बल्कि यह हमें हमारी संस्कृति की गहराई से जोड़ता है।
- यह दर्शाता है कि भारतीय ज्ञान परंपरा में लेखन एक साधना है, केवल कथा नहीं।
- यह हमें याद दिलाता है कि महाभारत केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी सभ्यता का योगदान है।
- यह प्रश्न हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे हमारे ऋषियों ने मानवता के लिए अमर ग्रंथ की रचना की।
- और सबसे जरूरी — यह हमें यह महसूस कराता है कि दिव्यता और मानवता साथ-साथ चल सकती हैं।
अंतिम विचार
तो अब जब कोई पूछे “महाभारत किसने लिखी थी?”,
तो आप आत्मविश्वास से कह सकते हैं —
“महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास जी ने की थी,
लेकिन इसे साकार रूप भगवान गणेश जी ने दिया।”
यह केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया थी —
जहाँ एक ऋषि ने ज्ञान दिया, और एक देवता ने उसे अक्षरों में बदला।
महाभारत आज भी जीवित है — हमारे विचारों, हमारे मूल्यों, और हमारी संस्कृति में।
यह सिर्फ एक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक दर्पण है — जो हमें खुद से मिलवाता है।
FAQ
प्रश्न 1: महाभारत किसने लिखी थी?
उत्तर: पारंपरिक मान्यता के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी और भगवान गणेश जी ने इसे लिखा था।
प्रश्न 2: क्या व्यास जी महाभारत में एक पात्र हैं?
उत्तर: हाँ, व्यास जी स्वयं महाभारत में एक पात्र के रूप में आते हैं। वे पांडवों और कौरवों की वंश परंपरा के जनक हैं।
प्रश्न 3: महाभारत कब लिखी गई थी?
उत्तर: इतिहासकारों के अनुसार, महाभारत का लेखन 400 ईसा पूर्व से 400 ईस्वी के बीच विभिन्न चरणों में हुआ।
प्रश्न 4: क्या महाभारत सच में हुई थी?
उत्तर: यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथ दोनों है। बहुत से विद्वान इसे एक वास्तविक ऐतिहासिक घटना मानते हैं, जबकि कुछ इसे प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक कथा मानते हैं।
प्रश्न 5: महाभारत में कुल कितने श्लोक हैं?
उत्तर: वर्तमान रूप में महाभारत में 1,00,000 से अधिक श्लोक हैं, जो विश्व का सबसे लंबा महाकाव्य माना जाता है।
Category: Hindu Epics | Mahabharata | Sanatan Dharma
Author: BhaktiParv.com


